एक दीप जलाया हैं
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ऐ हवा
जरा अपना रुख बदल
मन के अँधियारे से
लड़ने को
मैंने साहस का
एक दीप जलाया हैं
ऐ हवा
जरा अपना रुख बदल
निराशाओं को मिटाने
मैंने आशाओं का
एक दीप जलाया हैं
ऐ हवा
जरा अपना रुख बदल
अविश्वास को मिटाने
मैंने विश्वास का
एक दीप जलाया हैं
ऐ हवा
जरा अपना रुख बदल
बुराई को मिटाने
मन में अच्छाई का
एक दीप जलाया हैं
जीतेन्द्र सिंह "नील"