Tuesday 1 October 2013

धरती पर चाँद

धरती पर चाँद

तू जिद्द ना मेरे खुदा 
मैंने तेरे सजदे में सर झुकाया हैं 

जीभर के दीदार कर लेने दे 
आज तू मेरा महबूब बनकर आया हैं


ये मेरी मोहब्बत का ही सिला हैं 
तेरे आते ही धरती पर चाँद उतर आया हैं 

झुक गया आसमाँ भी ज़मीं पर 
प्यार से तूने जो मुझे गले लगाया हैं 

मेरे अश्क बन गए हैं मोती 
 तेरी हथेली पर मेरे अश्क का कतरा जो आया हैं 

थाम ले मुझको अब तो अपनी बाहों में 
तू ही तो मेरा हमनवाज़ बनकर आया हैं

मुकम्मिल हो गया हूँ मैं तेरी पनाह में 
मेरे होटो पर जबसे तेरा नाम आया हैं 


जीतेन्द्र सिंह “नील”

2 comments:

सुनीता अग्रवाल "नेह" said...

wahh bahut khub .. ahsaso ke sundar moti :) badhayi

Unknown said...

बहुत बहुत धन्यवाद् सुनीता अपनी अमूल्य टिपण्णी देने के लिए

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