Thursday 13 February 2014

प्रणय निवेदन




प्रणय निवेदन 

प्रणय निवेदन की
अभिलाषा मन में लिए
तेरे ह्रदय द्वार पर
निश्छल प्रेम की
दस्तक लगाई है 
मैंने अपने मन में
तेरे ही प्रेम की
प्रीत  बसायी है
इन नयनो में 
तेरी ही छवि बसती है 
इस ह्रदय की गहराई में 
तुम उतर आई हो 
ह्रदय की हर 
स्पंदन के साथ 
तुमसे मिलने की 
चाहत बढती है
बन गयी हो तुम 
मेरी जिंदगी 
जिंदगीभर तुमसे 
दूर ना रहने की 
कसम खायी हैं
स्वीकार करो 
मेरा प्रणय निवेदन 
तुम्हारे भी हिय में 
मेरी छवि उतर आई हैं
हे जन्म-जन्मांतर का 
साथ हमारा
ईश्वर ने ही 
अपनी जोड़ी बनायी हैं |

जीतेन्द्र सिंह "नील'

अधरों का आलिंगन

अधरों का आलिंगन
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कैसे बताऊ तुम्हे मैं
उसके अधरों के 
आलिंगन की बात
कितना सुन्दर था
वह अहसास
दूर थे दुनिया की भीड़ से
दहक रहे थे हमारे जज्बात
उसके अधरों में थी
झील के पानी सी शीतलता
छुआ जैसे ही
उसके अधरों ने मेर अधरों को
मिट गयी मेरे अधरों की
जलती आग
अदभुत था वह
आलिंगन अधरों का
जिसने बाँध लिया मुझे
अपने मोहपाश
लरज रहे थे काँप रहे थे
जब तक हुआ नही
मिलन अधरों का
जैसे ही हुआ स्पर्श
सिमट आई बाहों में
सारी कायनात
भूल गये हम
प्यार की सारी बाते
लब से लब कर रहे थे
अपनी ही बात
ये अहसास ये जज्बात
भुलाए नही भूल सकते
ये अधरों का आलिंगन
रहेगी जबतक अंतिम साँस ।
 
जीतेन्द्र सिंह "नील"

लबो का स्पर्श




Happy kiss day
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लबो का स्पर्श
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लबो का स्पर्श....
माँ करे तो
ममता लुटाये

लबो का स्पर्श....
पिता करे तो
स्नेह का सागर लगे

लबो का स्पर्श....
बहन करे तो रिश्तो की मजबूती
का अहसास कराये

लबो का स्पर्श....
भाई करे तो सुरक्षा का
कवच बन जाए

लबो का स्पर्श....
प्रेमी प्रेमिका करे तो
प्रेम का सैलाब लाये

लबो का स्पर्श....
पति पत्नी करे तो
प्यार की अभिव्यक्ति कहलाये

लबो का स्पर्श....
बच्चे करे तो ममता का
महत्व समझाए

लबो का स्पर्श....
दोस्त करे तो दोस्ती की
प्रगाड़ता बढ़ाये

जीतेन्द्र सिंह "नील"

Thursday 6 February 2014

सोच में डूबी रोशनाई





हे लफ्ज़ परेशां
सोच में डूबी हैं रोशनाई
लिखने को
कागज़ कलम कहाँ ,
दिल के जज्बात
बिखर रहे
समेटू उन्हें कैसे
वो अहसासों की
किताब कहाँ,
अश्क से
भीगी हैं पलके
लगी सावन की झड़ी
उसमे मेरे सपने
बह गये कहाँ,
थाम लो अब तो
हाथ मेरा
तन्हा जीवन
गुजरेगा कैसे
मैं हूँ यहाँ
तुम हो कहाँ |

जीतेन्द्र सिंह "नील"

Monday 3 February 2014

माँ सरस्वती पूजा एवं बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ



माँ सरस्वती पूजा एवं बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ

हे सोमलता 
अविवेक हारिणी 
अज्ञान मिटा |

श्रीश्वरी माता 
सत्वगुणसंपन्न 
प्रेरणा बनो |



सजी वसुधा 
बनी नवयोवना
बसंत आया |

बसंत आया 
रंग उमंग छाया 
फाल्गुन लाया |



सजी भू आज
ओढी पिली चुनर 
झूमा  बसंत |

आये साजन 
ऋतुराज बसंत 
धरा हर्षाई |

जीतेन्द्र सिंह "नील"
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