प्रणय निवेदन
प्रणय निवेदन की
अभिलाषा मन में लिए
अभिलाषा मन में लिए
तेरे ह्रदय द्वार पर
निश्छल प्रेम की
दस्तक लगाई है
निश्छल प्रेम की
दस्तक लगाई है
मैंने अपने मन में
तेरे ही प्रेम की
प्रीत बसायी है
इन नयनो में
तेरी ही छवि बसती है
इस ह्रदय की गहराई में
तुम उतर आई हो
ह्रदय की हर
स्पंदन के साथ
तुमसे मिलने की
चाहत बढती है
बन गयी हो तुम
बन गयी हो तुम
मेरी जिंदगी
जिंदगीभर तुमसे
दूर ना रहने की
कसम खायी हैं
स्वीकार करो
मेरा प्रणय निवेदन
तुम्हारे भी हिय में
मेरी छवि उतर आई हैं
हे जन्म-जन्मांतर का
साथ हमारा
ईश्वर ने ही
अपनी जोड़ी बनायी हैं |
जीतेन्द्र सिंह "नील'