तुम
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एक नवयोवना सी तुम
लगती प्यारी सुंदर तुम
तुम लगो गागर में सागर
अपने में सर्वगुण संपन्न तुम
पवित्र निश्छल मन की तुम
मेरे मन मंदिर में बसती तुम
तुम लगो देवलोक की अप्सरा
अप्रतिम सोन्दर्य की मूरत तुम
कविता का श्रृंगार हो तुम
शब्दों का अलंकार हो तुम
तुम लगो शब्दकोष का भण्डार
काव्य का अनुपम संसार तुम
इठलाती नदियों की रवानी तुम
हर मौजो की प्रेमकहानी तुम
तुम लगो शिव की जटा से बहती जलधारा
स्वर्गलोक से उतरी भागीरथ की गंगा तुम
फूलो कलियों को महकाती तुम
गुलशन की सुहानी बहार तुम
तुम लगो फूलो का अमृत
भंवरो के मन का प्यार तुम
" नील
" नील
2 comments:
wahhh betreen rachna .. badhayi ..:)
कविता का श्रृंगार हो तुम
शब्दों का अलंकार हो तुम
तुम लगो शब्दकोष का भण्डार
काव्य का अनुपम संसार तुम
सराहना के लिए आभार @सुनीता जी
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