Wednesday 11 December 2013

वो एक नाम

 
 
 वो एक नाम


"नील"
यही नाम दिया था मैंने उसे
जब हम पहली बार मिले थे
वह मुझे जीत कहकर पुकारती थी
दोनों अपने नए नाम से बहुत खुश थे
हम जब भी अपना नाम
साथ में लिखते तो
नीलजीत ही लिखते थे  
कितना प्यार था हम दोनों में
जबसे मिले थे कभी भी इक पल के लिए
इकदूजे  के दिल से दूर नही हुए
दिन महीने गुजरते गये
हम प्यार की डोर को मजबूत करते गये
और एक दिन विवाह-बंधन में बंध गये
हमारी प्रीत में भी प्रगाड़ता आती गयी
हमारी प्यारी की बगियाँ में दो फूल खिले
धीरे धीरे हम साथ मिलकर
हँसी-ख़ुशी इसे सींच रहे थे
कुछ ही वर्ष बीते थे कि
अचानक एक ऐसी आँधी आई
नील को जीत को से जुदा कर गयी
नीलजीत का नाम अब
एक याद बनकर रह गया था
जीत की जिंदगी में
नील जाने किस दुनिया में खो गयी
जीत को अकेला छोड़कर
आज जीत जी तो रहा हैं पर
वह अपने प्यार को भूल नही पाया
उस प्यार को जिन्दा रखने के लिए उसने
आज खुद की पहचान
नील के नाम से बना ली
और उसके प्यार को अपने दिल में
सदा के लिए नील नाम से अमर कर दिया ।

जीतेन्द्र सिंह "नील"

No comments:

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...